काँच के घर | Kān̐ca ke ghara

‘‘काँच के घर में रहने वाले दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारते। लेकिन अब ये काँच के घर नहीं रहे जिनमें झाँक कर देख सकते हैं कि अन्दर क्या हो रहा है। काँच की परिभाषा बदल गयी थी। बहुत कुछ बदला था। सब अपनी सुविधाओं के अनुसार चीज़ें बदल रहे थे। लोग सिर्फ़ समूहों में ही नहीं बँटे थे, उनके दिल भी बँट गये थ...

Full description

Bibliographic Details
Main Author: दीप, हंसा | Dīpa, Haṃsā
Format: BOOK
Language:HINDI
Published: Vāṇī Prakāśana Grupa 2022
Series:Lokodaya granthamālā granthāṅka 1529
Subjects: